hindi sahitya
गुरुवार, 8 नवंबर 2012
नज़ारे
अपना दिल जब ये पूछें की दिलकश क्यों नज़ारे हैं
परायी लगती दुनिया में बह लगते क्यों हमारे हैं
ना उनसे तुम अलग रहना
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