hindi sahitya
रविवार, 11 नवंबर 2012
त्रिशूल ....(तृतीय चरण ),,,!!!
हुश्न के ज़लवे पर इतना न तुम इतराव
चमक दो दिन की,वक़्त रहते संभल जाव
.................................
आईना
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