hindi sahitya
रविवार, 16 दिसंबर 2012
कवित्त
चिर निद्रा से मति जागो देखो पीछे मुड़कर।
हमारी विजय की सुगंध महक रही है।
समय के हर एक सोपान पर अभी तक,
पद चिन्ह हमारे
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