hindi sahitya
गुरुवार, 20 दिसंबर 2012
पुनः ..... बूँद बूँद ओस.....!!
सुषुप्ति छाई ....गहरी थी निद्रा ....
शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!!
न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न
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