सोमवार, 13 अगस्त 2012

युग तेरा है...

उठो वत्स !
सारी रात जागकर तेरी माँ ने
सम्पूर्ण कथा सुनी है तेरे तात से ।
ओ अभिमन्यु !
उठ...चक्रव्यूह तोड़ दे
युग को

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