बुधवार, 15 अगस्त 2012

गाँधी ने अद्वैत को देखा था...

एक विशाल
अँधेरे बंद कमरे में
लोग एक-एक कर के
अपने-अपने हाथ में
चिराग लेकर प्रवेश करते रहे...
जो गये...लौटकर नहीं

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