गुरुवार, 16 अगस्त 2012

मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े !

 
मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े,



कही भोज में नित रसगुल्ले, कही सूखे टुकड़े,




कही राम-भरत सा प्रेम, कही विभीषण

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