बुधवार, 1 अगस्त 2012

प्रकृती

रात की निर्जनता का सृजन कोई बतला दे !
इस उदासता और कठोरता का मर्म कोई बतला दे !!
सात समन्दर की लहरो का अन्त कोई बतला दे

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