सोमवार, 6 अगस्त 2012

माँ... क्या हो तुम ?

माँ

क्या हो तुम..?

जेठ की चिलचिलाती धूप हो या

सावन की रिमझिम फुहार,

अनवरत बहने वाली गंगा हो या

किसी झील का शांत

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