hindi sahitya
रविवार, 7 अक्टूबर 2012
वो हाथ पकड़ कर चलता है....
चराग़ उम्मीदों का जलता है ,
जब शाम फ़लक से ढलता है ,
जुदाई का ख़याल होगा भी कैसे ,
वो हाथ पकड़ कर चलता है
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