hindi sahitya
सोमवार, 15 अक्टूबर 2012
कथा मेरे जीवन की !
कथा मेरे जीवन की !
अजाचित नियति से भाग्य मे जो दुख खिला,
संचित पीड़ा का अनचाहा उपहार जब मिला;
तढ़प गया हृदय, शांत
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