hindi sahitya
शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012
हम दर -बदर की ठोकरे खाते चले गये.....[गज़ल]
ग़ज़ल
हम दर- बदर की ठोकरे खाते चले गए !
फिर भी तराने प्यार के गाते चले गए !
कोशिश तो की भंवर ने डुबाने की
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