रविवार, 24 फ़रवरी 2013

नूर

है नूर ही ऐसा तेरी नज़र का, जैसे उजाला हो तू जहाँ भी है,
हरपल, हरदिन हमें, इसी कारण तेरा इन्तज़ार रहता ही है

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