गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

लिखता कहाँ हूँ
सिगरेट की मानिन्द
सुलगा जिन्दगी को
धुँआ जज्ब़ कर लेता हूँ
राख़ झाड़ देता हूँ पन्नों

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