hindi sahitya
मंगलवार, 6 नवंबर 2012
ग़ज़ल (दिलासा)
सजाए मोत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे
ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधर दिलाने की बात करते हैं
हुए दुनिया से
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