hindi sahitya
गुरुवार, 1 नवंबर 2012
कबिता (अर्पण)
अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँ
पल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होना
रहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में
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