hindi sahitya
रविवार, 24 फ़रवरी 2013
रात की कंबल
रात की कंबल
बेआवाज दीवारें
नींद तन्हा
कोई रूठ गया है किसी से
और कोई
तार-तार कंबल
उधेड़ रहा है
बुन रहा
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