hindi sahitya
रविवार, 24 फ़रवरी 2013
कलम से टपके सोच
कलम से जो टपकते है,
उन सोचों कों
कविता न समज़ना,
शब्दोंके सहारे बहता हूँ मैं;
मेरे मन, मेरे दिल,
मेरी भावनाओं को
एक
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