hindi sahitya
शनिवार, 23 फ़रवरी 2013
मिलन
मिलन
रात ढ़लती गई, हम गुनगुनाते गये
शमा जलती रही, हम पिगलते रहे
रात घुटती गई, चाँद चमकता गया
हुस्ने-आग में खुद को
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