hindi sahitya
बुधवार, 27 फ़रवरी 2013
जन्नत की किसे ख्वाहिश थी
जन्नत की किसे ख्वाहिश थी
हम जहन्नुम चले जाते
तेरे हुश्न की अगर आखिरी
लम्होतक जीया होता
शिकवे की नौबत नही आती
अगर
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