hindi sahitya
गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013
ग़ज़ल
जिसे चाहा उसे छीना , जो पाया है सहेजा है
उम्र बीती है लेने में ,मगर फिर शून्यता क्यों हैं
सभी पाने को आतुर हैं ,नहीं
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