गुरुवार, 3 जनवरी 2013

उस मोड़ पर

रात भर फैला रहा सन्नाटा,

फैला रहा अँधेरा

ज्वन अंकुरित हुआ

उठ कर देखा उस मोड़ पर तुम खड़े थे

जहाँ उठ रहा था

पूरा पढ़े ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें