शनिवार, 5 जनवरी 2013

घडी कि सुई

घडी कि सुई

वसन्त ऋतु आइ
कोकिल ने कुका
पतझड से बगिया
उजड़ना न छोड़ा

शराब पिया और
शराबी हुवा मै
खुद शराब ने

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