शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

जब तुम न थे चाहत तुम्हारी थी

तुम्हरे बाद

जब तुम न थे चाहत तुम्हारी थी
हर एक सिम्त आहट तुम्हारी थी

चोंक तो गया था दरे दिल पे उसे देख कर
बदलते

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