मंगलवार, 8 जनवरी 2013

धूप बिटिया( हाइकु)

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1

जले अलाव

फ़रार हुई धूप

काँपती छाँव ।

2

पकती चाय

बिखरती खुशबू

लहके आँच

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