गुरुवार, 3 जनवरी 2013

फ़क्त लम्हों की कमी है!!

कहते तो बहुत कुछ हैं,

फिर भी खामोश लब हैं!

 

मुस्कुराते तो बहुत हैं,

फिर भी आँखे ये नम हैं!

 

जीने की तमन्ना तो

पूरा पढ़े ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें