गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

क्यों हमको नजर न आते

क्यों तुम हो भगवान् कहाते?
धुन बंशी की मधुर बजाते।
माँ कहती कण-कण में बसते,
फिर क्यों हमको नजर न आते।।

सूरज दादा

क्यों हमको नजर न आते

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