बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

मिलन

मिलन

रात ढ़लती गई, हम गुनगुनाते गये
शमा जलती रही, हम पिगलते रहे

रात घुटती गई, चाँद चमकता गया
हुस्ने-आग में खुद को

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