रविवार, 10 फ़रवरी 2013

सुधीर मौर्य की तीन कविताय

 

न रक्स रहा न ग़ज़ल रही...

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इश्क के थाल में

चाँद सज़ा कर

बाज़ार में बेच दिया

कल उसने...

 

सपनो

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