बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

अखिलेश औदिच्य

बारिश ने मचलकर
जब बाल झटके
मैंने महसूस की उसकी फुहार
अपने बिस्तर तक
छींटों की छमक ने जगा दिया
कुछ अधसोये ख्वाबों

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