रविवार, 10 फ़रवरी 2013

बिरह

बिरह

मेरी कलम लिख रही, "बिरह" मधुमास का,

मन मुरझाया, खिला फूल जब अमलतास का,

चली जब बसंती पवन,पलाशों सा मन

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