hindi sahitya
शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012
जाती है दृष्टि जहाँ तक बादल धुएँ के देखता हूँ
"जाती है दृष्टि जहाँ तक बादल धुएँ के देखता हूँ
अर्चना के दीप से ही मन्दिर जलते देखता हूँ ।
देखता हूँ रात्रि से भी
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