hindi sahitya
शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013
तो जानें
तुम्हारी बातों से है सीना मेरा छलनी-छलनी,
जख्मे दिल पर कभी मरहम लगाओ तो जानें,
गर तुम्हे है डर की मैं महफ़िल ख़राब कर
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