hindi sahitya
गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013
जरा सा और सोने दो
जरा सा और सोने दो |
अभी तो रात बाकी है ||
हो रही आँखें उनींदी ,
स्वप्न में अब डूब जाऊं |
कुछ घडी भूलूं जगत को,
जब दिवा से
A Poem on Life
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