गुरुवार, 12 जुलाई 2012

अब नये साल की मोहलत नहीं मिलने वाली / फ़राज़

अब नये साल की मोहलत नहीं मिलने वाली
आ चुके अब तो शब-ओ-रोज़ अज़ाबों वाले

अब तो सब दश्ना-ओ-ख़ंज़र की ज़ुबाँ बोलते

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