रविवार, 22 जुलाई 2012

.प्रेम

निश्चल प्रेम कैसा होता है
रातोमें जुगनू सा जगमगाता
चाँद को चांदनी से चमकता
जो हमें दिखाई नहीं देता
शायद हवा की

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