गुरुवार, 19 जुलाई 2012

पल . . .

प्रिय ! तुम्हारे साथ के वह पल

या तुम्हारे बिना यह पल

दोनों पल, कैसे हैं ये पल ?

जला रहे हैं मुझे पल पल .

प्रिय !

पूरा पढ़े ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें