शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

लफ्ज.....

मैं ने मुफ्त का समझ लुटाया बेसुमार
जिस कल्पना के लिये एक लफ्ज काफी था
उसे सो-सो लफ्ज दिये बेकार

परायों की दुनिया

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