रविवार, 30 सितंबर 2012

यूँ मजहबों में बंट ना संसार बांटिये !...[ग़ज़ल]

!! ग़ज़ल !!
यूँ मजहबों में बंट के ना संसार बांटिये !
कुछ बांटना है आपको तो प्यार बांटिये !!

आंगन मे खून कि न बहे

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