रविवार, 23 सितंबर 2012

नज्म,"शहीदो लौट आओ अब, तुम्हारी फिर जरुरत है।"

 

नज़्म “शहीदो लौट आओ अब, तुम्हारी फिर ज़रूरत है ||”

अजब छाई हुई अहले वतन पर आज गफ़लत है |

हवालों और घुटालों से इन्हें

पूरा पढ़े ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें