शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

ज़िंदगी से शिकवा । (गीत)

अय ज़िंदगी, तुं ही बता, शिकवा करें भी तो क्या करें..!

गले लगाई है मर्ज़ी से, अब करें भी तो क्या करें..!


(शिकवा=

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