शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

सुनहरे सपने ( सेदोका)

1.

पल भर में

टूटकर बिखरे

सुनहरे सपने

किससे कहूँ

घायल हुआ मन

रूठे सभी अपने।

2.

हिरण बन

न जाने कहाँ गई

वो

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