बुधवार, 28 नवंबर 2012

यों ही..कुछ.बात या बेबात...(बेरुखी की)!!!

यों ही..कुछ.बात या बेबात...(बेरुखी की)!!!

अफ़साना यह रहता था,हर तरफ़ प्यार का मंज़र दिखा ;
फूलों से लदी हर शाख मे,

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