गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

19-अज़ीज जान से ज्यादा है शायरी की तरह

ग़ज़ल
अज़ीज जान से ज्यादा है शायरी की तरह
तू मेरे साथ है हर लम्हा ज़िन्दगी की तरह

कभी जो साथ रहा

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