सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

कर्मयोगी

नदी किनारे
एक सूखा वृक्ष
बिन पत्तों,
बिन शाखाओं के
झुका खड़ा था।

जिसे देख
एक बूढ़े पथिक ने पूछा,
उदास दीखते हो

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