सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

नींद चली आती है...

बाँट में,
अपने हिस्से का सब छोड़,
कोने में पड़ी
सूत से बुनी वह
मंजी अपने साथ ले आई,
जो पुरानी, फालतू समझ
फेंकने के

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