मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

जरा सा और सोने दो

जरा सा और सोने दो |
अभी तो रात बाकी है ||

हो रही आँखें उनींदी ,
स्वप्न में अब डूब जाऊं |
कुछ घडी भूलूं जगत को,
जब दिवा से

पूरा पढ़े ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें