मेरी विनती को आज मानव तु अपना लें,
मर्यादा, लाज, शर्म को ढलने से बताले,
अब अपने घर मे शोचालय बनवाले! देश शर्म से झुक रहा है, मानव का मे तुल रहा है! अपने देश के आशीयानों की तु लाज बचाले!
अब अपने घर मे शोचालय बनवाले! बहु बेटियों की आशाऔ पर, लाज शर्म की परिभाषाओ पर! नारी का सम्मान बडा लें!
अब अपने घर शोचालय बनवालें! नारी को इज्जत कहते है, दिन रात घुघंट में रखते है!
कहा जाती ये बाते जब वह डिब्बा लेकर जाती है!
अपनी मर्यादा को डिब्बे मे ना ढलने दे
अब अपने घर ………. पहला सुख निरोगी काया, अब यह तो दिखने में छाया,
खुले में मल जाने से, आज तक ना पनप पाया है!
आज तु इसको आजमा लें! अब अपने … …….
सरकार ने अभियान चलाया, मेहन्दुरिया का नाम भी आया!
घरघर जन-जागृती कर, स्वच्छता का दीप जलाया!
आज आपकी बारी है स्वच्छता अपना लें!
अब अपने …….
आज हमारी आशाओ पर, स्वच्छता की परिभाषाओ पर!
खुले में ना हो मल त्याग, बिमारियो का होगा त्याग!
स्वच्छता का दीप जलाकर अब ODF करवा लें
अब अपने घर शोचालय बनवाले!
शुक्रवार, 27 नवंबर 2015
अब अपने घर मे शोचालय बनवाले
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