खूब कोशिश कि तुझे कलम मे समेटने कि, लिखते लिखते ये स्याही अपना असर खोती रही, जिदंगी जीने के लिए जरूरत थी बहाने की, बस तु मुस्कुराती रही हमारी बसर होती रही
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