शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

अब लैला और कैस के ईश्क का ज़माना नहीं है

बताना नहीं है अब उसको समझाना नहीं है ,
मुझे अपना इलाज-ए-गम करवाना नहीं है ,

तुम ये क्या सच्ची मुहब्बत की रट लगाए हो

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